सिंधिया ने कहा, "यह हमारी पार्टी के लिए बेहद निराशाजनक है। पार्टी में एक नई विचारधारा और एक नई कार्यप्रणाली की तुरंत जरूरत है। देश बदल चुका है, इसलिए हमें भी नए तरीके से सोचने और देश की जनता से जुड़ने का विकल्प चुनना होगा।"
Congress' Jyotiraditya Scindia on #DelhiElectionResult2020: It is highly disappointing for our party. There is an urgent need for a new ideology &a new work process. Country has changed, so we also need to opt for a new way of thinking&connect with the people of the country.
इससे पहले, दिल्ली प्रभारी पद से इस्तीफा देने वाले पीसी चाको पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बारे में अपने एक कथित बयान को लेकर कुछ नेताओं के निशाने पर आ गए, तो कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उन नेताओं को आड़े हाथ लिया जो कांग्रेस के सफाए के बावजूद चुनाव परिणाम को भाजपा के खिलाफ जनादेश के तौर पर पेश करके खुशी का इजहार कर रहे हैं।
दरअसल, कांग्रेस में उस वक्त एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब चाको ने कथित तौर पर कहा कि कांग्रेस पार्टी का पतन 2013 में शुरू हुआ जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं। बाद में चाको ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी तरह से शीला दीक्षित को जिम्मेदार नहीं ठहराया है, बल्कि सिर्फ यह तथ्य रख रहे थे कि पार्टी का प्रदर्शन कैसे धीरे-धीरे खराब होता चला गया और कांग्रेस का वोट आप की तरफ चला गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ने चाको की कथित टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा और कहा कि चुनावी हार के लिए दिवंगत शीला दीक्षित को जिम्मेदार ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है। शीला दीक्षित के करीबी रहे कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी चाको पर निशाना साधते हुए कहा, ''2013 में जब हम हारे तो कांग्रेस को दिल्ली में 24.55 फीसदी वोट मिले थे। शीला जी 2015 के चुनाव में शामिल नहीं थीं जब हमारा वोट प्रतिशत गिरकर 9.7 फीसदी हो गया। 2019 में जब शीला जी ने कमान संभाली तो कांग्रेस का वोट प्रतिशत 22.46 फीसदी हो गया।"
दिल्ली महिला कांग्रेस की प्रमुख शर्मिष्ठा मुखर्जी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम द्वारा विपक्ष का हौसला बढ़ाने वाला परिणाम करार दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि अगर कांग्रेस ने भाजपा को पराजित करने का काम क्षेत्रीय दलों को आउटसोर्स कर दिया है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटियों (पीसीसी) को अपनी दुकान बंद कर देना चाहिए।
With due respect sir, just want to know- has @INCIndia outsourced the task of defeating BJP to state parties? If not, then why r we gloating over AAP victory rather than being concerned abt our drubbing? And if ‘yes’, then we (PCCs) might as well close shop! https://twitter.com/PChidambaram_IN/status/1227144091823112193 …
P. Chidambaram
✔@PChidambaram_INAAP won, bluff and bluster lost. The people of Delhi, who are from all parts of India, have defeated the polarising, divisive and dangerous agenda of the BJP
I salute the people of Delhi who have set an example to other states that will hold their elections in 2021 and 2022
दरअसल, चिदंबरम ने मंगलवार (11 फरवरी) को ट्वीट किया था, ''अगर मतदाता उन राज्यों के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां से वे आए थे, तो दिल्ली का मत विपक्ष का यह विश्वास बढ़ाने वाला है कि भाजपा को हर राज्य में हराया जा सकता है। दिल्ली का वोट राज्य विशेष के वोट की तुलना में अखिल भारतीय वोट है क्योंकि दिल्ली एक मिनी इंडिया है।"
P. Chidambaram
✔@PChidambaram_INयाद कीजिए, जब दिल्ली में मतदान हुआ था, तब लाखों मलयाली, तमिल, तेलुगु, बंगाली, गुजराती और भारत के अन्य राज्यों से आए लोगों ने मतदान किया था।
अगर मतदाता उन राज्यों के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो वे आए थे, तो दिल्ली का मत, विपक्ष के विश्वास बढ़ाने का एक बूस्टर है कि भाजपा को हर राज्य में हराया जा सकता है।
दिल्ली का वोट राज्य विशेष के वोट की तुलना में अखिल भारतीय वोट के करीब है। क्योंकि दिल्ली एक मिनी इंडिया है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उनकी पार्टी चुनावी नतीजों का आत्मावलोकन कर रही है कि आखिर उनकी हार की क्या वजहें रही हैं। खड़गे ने कहा, ''चुनाव में हार-जीत तो आम बात है, चुनाव के लिए जो भी प्रयास जरूरी थे वे पार्टी (कांग्रेस) ने किए लेकिन हमें सफलता नहीं मिली।" कांग्रेस के प्रदर्शन के बारे में उन्होंने बेंगलुरु में संवाददाताओं से कहा, ''कार्य समिति में हम चर्चा करेंगे, कमियों का आत्मावलोकन करेंगे और यह देखेंगे कि क्या बुनियादी गलतियां रह गई जिससे हमें नुकसान उठाना पड़ा।"
गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप ने 62 सीटें हासिल करके शानदार जीत दर्ज की है। भाजपा को महज आठ सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला।